भ्रष्टाचार को 'शिष्टाचार' की शक्ल देती कांग्रेस
इनके सहयोग में खड़े दलित और पिछड़े नेत्रित्व
भारत सरकार 'आकंठ भ्रष्टाचार' में डूबी है, लूट की छुट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुकी है, लगता है पिछले दिनों चले 'भ्रष्टाचार मिटाओ' आन्दोलनों का लब्बो लुबाब मतलब यही दिखाई देता है की किस तरह से भ्रष्टाचार को 'शिष्टाचार' की शक्ल दे दी जाय। और यही हुआ 'कांग्रेस' ने एक न एक 'कुकर्मो' को इस पुरे आन्दोलनों से जोड़कर 'बलात्कार' के इतने रूप प्रस्तुत किये की सारा भारत देश मध्यकाल युग में पहुँच गया है, विकास की खोखली नीतियों से समकालीन दिक्कतें भले ही दिखाई नहीं दे रही हों पर जो कुछ हो रहा है उससे देश निश्चित तौर पर जिधर जा रहा है वह सामाजिक गैर बराबरी को बढ़ाएगा।
इसी व्यवस्था के सुधार और बदलाव के जिस स्वरुप की मुझे आवश्यकता है उसको लागू करने की कुवत किसी मौजूदा नेता में नज़र नहीं आ रही हैं। अब नया नेतृत्व कहाँ से लाया जाय !
"सरबजीत की मदद में भारत सरकार आगे क्यों नहीं आ रही है, सोनिया गांधी को यह देश बर्दास्त कर रहा है या सोनिया गांधी इस देश को बर्बाद कर रही है इस सवाल पर सब चुप क्यों है ? यदि कोई सच्चा देशभक्त शासक होता तो सरबजीत की मदद में जरूर आगे आता।"
-डॉ.लाल रत्नाकर
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