शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

ब्लागर के व्यवस्थापक

पाठक !
आदरणीय
यह ब्लागर के माध्यम से एक विल्कुल अव्यवसायिक अराजनैतिक मात्र सामाजिक बदलाव के उद्येश्य से किया जा रहा प्रयास है, 2 0 1 4 का जिक्र उस प्रक्रिया की वजह से किया जा रहा है जिसमें सामजिक सरोकार बनते और बिगड़ते हैं।
सामाजिक जुडाव का सुअवसर मिलता है।
बुरे के खिलाफ खड़े होने का अवसर भी।
भारत गनराज्य की एकता अखण्डता का पर्व होता है 'आम चुनाव'.
इसी उद्येश की पूर्ति सजग अवाम से अपेक्षित भी है.
इसी उद्येश्य से .
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