टूट सकते हैं माया और मुलायम के पीएम बनने के सपने
लखनऊ/ब्यूरो | अंतिम अपडेट 11 जुलाई 2013 1:30 AM IST पर
सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले से दिल्ली की गद्दी पर बैठने के मायावती और मुलायम सिंह यादव के सपने भी टूट सकते हैं।
दरअसल आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक मई 2013 को मायावती को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई चाहे तो मामले की जांच करा सकती है।
पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को जांच करने की पूरी आजादी है। उधर लोकसभा सांसद और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे विधायक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी कोर्ट के फैसले की तलवार लटकी है।
मुलायम सिंह ने केस रद्द कराने की भरपूर कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। वो सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन 13 दिसंबर 2012 को कोर्ट ने सीबीआई को जांच जारी रखने का निर्देश दे दिया।
विधायक मुख्तार अंसारी भी इसकी जद में आ सकते हैं। उन पर हत्या, अपहरण, फिरौती समेत कई आपराधिक मामले हैं। अगर मुख्तार अंसारी को एक भी केस में सजा मिली तो उनकी विधायकी चली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले से दिल्ली की गद्दी पर बैठने के मायावती और मुलायम सिंह यादव के सपने भी टूट सकते हैं।
दरअसल आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक मई 2013 को मायावती को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई चाहे तो मामले की जांच करा सकती है।
पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को जांच करने की पूरी आजादी है। उधर लोकसभा सांसद और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे विधायक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी कोर्ट के फैसले की तलवार लटकी है।
मुलायम सिंह ने केस रद्द कराने की भरपूर कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। वो सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन 13 दिसंबर 2012 को कोर्ट ने सीबीआई को जांच जारी रखने का निर्देश दे दिया।
विधायक मुख्तार अंसारी भी इसकी जद में आ सकते हैं। उन पर हत्या, अपहरण, फिरौती समेत कई आपराधिक मामले हैं। अगर मुख्तार अंसारी को एक भी केस में सजा मिली तो उनकी विधायकी चली जाएगी।
दरअसल आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक मई 2013 को मायावती को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई चाहे तो मामले की जांच करा सकती है।
पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को जांच करने की पूरी आजादी है। उधर लोकसभा सांसद और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे विधायक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी कोर्ट के फैसले की तलवार लटकी है।
मुलायम सिंह ने केस रद्द कराने की भरपूर कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। वो सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन 13 दिसंबर 2012 को कोर्ट ने सीबीआई को जांच जारी रखने का निर्देश दे दिया।
विधायक मुख्तार अंसारी भी इसकी जद में आ सकते हैं। उन पर हत्या, अपहरण, फिरौती समेत कई आपराधिक मामले हैं। अगर मुख्तार अंसारी को एक भी केस में सजा मिली तो उनकी विधायकी चली जाएगी।
यूपी में 189 विधायक दागी, सपा में हैं सबसे ज्यादा
लखनऊ/ब्यूरो | अंतिम अपडेट 11 जुलाई 2013 2:02 AM IST पर
उत्तर प्रदेश में दागी माननीयों को लेकर आया सुप्रीम कोर्ट का निर्णय यूपी के सत्ता के गलियारों में खासी हलचल मचा सकता है।
प्रदेश के कुल 403 विधायकों में से 47 प्रतिशत यानि 189 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 98 ऐसे हैं जिनके ऊपर हत्या, बलात्कार जैसी संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से आने वाले समय में यूपी में ही सबसे ज्यादा उठापटक मचेगी।
विधायकों के हलफनामों के आधार पर तैयार यूपी इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक चुनावों में बहुमत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी आपराधिक मामलों वाले माननीयों के मामले में बहुमत से बस थोड़ा ही पीछे है।
हालांकि अन्य दलों के मुकाबले समाजवादी पार्टी कहीं आगे है। उसके 224 विधायकों में से 111 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 56 के खिलाफ गंभीर मामले हैं।
सपा के बाद दूसरा नंबर बसपा का है। उसके 80 विधायकों में से 29 पर के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं, जिसमें से 14 माननीयों पर तो गंभीर मामले हैं।
इस मामले में भाजपा का ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा नहीं। उसके 47 में से 25 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं जबकि इनमें 14 पर गंभीर आरोप हैं। जबकि कांग्रेस के 28 में से 13 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।
गंभीर अपराधों वाले टॉप टेन विधायकों में नंबर एक पर समाजवादी पार्टी के बीकापुर के विधायक मित्रसेन यादव हैं। उनके खिलाफ 36 मामले हैं।
इनमें से अकेले 14 मामले हत्या के हैं। दूसरे नंबर पर माफिया डॉन बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह का नाम है। सकलडीहा से निर्दलीय विधायक सुशील सिंह पर 20 मामले दर्ज हैं। इनमें से 12 मामले हत्या के हैं।
तीसरे नंबर पर जसराना के सपा विधायक रामवीर सिंह का नाम है। रामवीर के खिलाफ कुल 18 मामले दर्ज हैं। मऊ से कौमी एकता दल से चुने गए माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ भी हत्या के आठ मामलो सहित 15 रिपोर्ट दर्ज हैं।
विधायक पर गंभीर धाराओं के मामले जिनमें दो साल से ज्यादा की सजा है
. आईपीसी 153 ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना) - कुल 12 मामले
. आईपीसी 302 (हत्या) - कुल 38 मामले
. आईपीसी 307 (हत्या का प्रयास) - कुल 95 मामले
. आईपीसी 364 (हत्या के लिए अपहरण) - कुल 15 मामले
. आईपीसी 376 (दुराचार के लिए दंड) - कुल 4 मामले
. आईपीसी 392 (लूट के लिए दंड) - कुल नौ मामले
. आईपीसी 395 (डकैती के लिए दंड) - कुल 21 मामले
उत्तर प्रदेश में दागी माननीयों को लेकर आया सुप्रीम कोर्ट का निर्णय यूपी के सत्ता के गलियारों में खासी हलचल मचा सकता है।
प्रदेश के कुल 403 विधायकों में से 47 प्रतिशत यानि 189 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 98 ऐसे हैं जिनके ऊपर हत्या, बलात्कार जैसी संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से आने वाले समय में यूपी में ही सबसे ज्यादा उठापटक मचेगी।
विधायकों के हलफनामों के आधार पर तैयार यूपी इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक चुनावों में बहुमत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी आपराधिक मामलों वाले माननीयों के मामले में बहुमत से बस थोड़ा ही पीछे है।
हालांकि अन्य दलों के मुकाबले समाजवादी पार्टी कहीं आगे है। उसके 224 विधायकों में से 111 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 56 के खिलाफ गंभीर मामले हैं।
सपा के बाद दूसरा नंबर बसपा का है। उसके 80 विधायकों में से 29 पर के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं, जिसमें से 14 माननीयों पर तो गंभीर मामले हैं।
इस मामले में भाजपा का ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा नहीं। उसके 47 में से 25 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं जबकि इनमें 14 पर गंभीर आरोप हैं। जबकि कांग्रेस के 28 में से 13 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।
गंभीर अपराधों वाले टॉप टेन विधायकों में नंबर एक पर समाजवादी पार्टी के बीकापुर के विधायक मित्रसेन यादव हैं। उनके खिलाफ 36 मामले हैं।
इनमें से अकेले 14 मामले हत्या के हैं। दूसरे नंबर पर माफिया डॉन बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह का नाम है। सकलडीहा से निर्दलीय विधायक सुशील सिंह पर 20 मामले दर्ज हैं। इनमें से 12 मामले हत्या के हैं।
तीसरे नंबर पर जसराना के सपा विधायक रामवीर सिंह का नाम है। रामवीर के खिलाफ कुल 18 मामले दर्ज हैं। मऊ से कौमी एकता दल से चुने गए माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ भी हत्या के आठ मामलो सहित 15 रिपोर्ट दर्ज हैं।
विधायक पर गंभीर धाराओं के मामले जिनमें दो साल से ज्यादा की सजा है
. आईपीसी 153 ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना) - कुल 12 मामले
. आईपीसी 302 (हत्या) - कुल 38 मामले
. आईपीसी 307 (हत्या का प्रयास) - कुल 95 मामले
. आईपीसी 364 (हत्या के लिए अपहरण) - कुल 15 मामले
. आईपीसी 376 (दुराचार के लिए दंड) - कुल 4 मामले
. आईपीसी 392 (लूट के लिए दंड) - कुल नौ मामले
. आईपीसी 395 (डकैती के लिए दंड) - कुल 21 मामले
प्रदेश के कुल 403 विधायकों में से 47 प्रतिशत यानि 189 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 98 ऐसे हैं जिनके ऊपर हत्या, बलात्कार जैसी संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज है। इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से आने वाले समय में यूपी में ही सबसे ज्यादा उठापटक मचेगी।
विधायकों के हलफनामों के आधार पर तैयार यूपी इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक चुनावों में बहुमत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी आपराधिक मामलों वाले माननीयों के मामले में बहुमत से बस थोड़ा ही पीछे है।
हालांकि अन्य दलों के मुकाबले समाजवादी पार्टी कहीं आगे है। उसके 224 विधायकों में से 111 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 56 के खिलाफ गंभीर मामले हैं।
सपा के बाद दूसरा नंबर बसपा का है। उसके 80 विधायकों में से 29 पर के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं, जिसमें से 14 माननीयों पर तो गंभीर मामले हैं।
इस मामले में भाजपा का ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा नहीं। उसके 47 में से 25 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं जबकि इनमें 14 पर गंभीर आरोप हैं। जबकि कांग्रेस के 28 में से 13 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।
गंभीर अपराधों वाले टॉप टेन विधायकों में नंबर एक पर समाजवादी पार्टी के बीकापुर के विधायक मित्रसेन यादव हैं। उनके खिलाफ 36 मामले हैं।
इनमें से अकेले 14 मामले हत्या के हैं। दूसरे नंबर पर माफिया डॉन बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह का नाम है। सकलडीहा से निर्दलीय विधायक सुशील सिंह पर 20 मामले दर्ज हैं। इनमें से 12 मामले हत्या के हैं।
तीसरे नंबर पर जसराना के सपा विधायक रामवीर सिंह का नाम है। रामवीर के खिलाफ कुल 18 मामले दर्ज हैं। मऊ से कौमी एकता दल से चुने गए माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ भी हत्या के आठ मामलो सहित 15 रिपोर्ट दर्ज हैं।
विधायक पर गंभीर धाराओं के मामले जिनमें दो साल से ज्यादा की सजा है
. आईपीसी 153 ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना) - कुल 12 मामले
. आईपीसी 302 (हत्या) - कुल 38 मामले
. आईपीसी 307 (हत्या का प्रयास) - कुल 95 मामले
. आईपीसी 364 (हत्या के लिए अपहरण) - कुल 15 मामले
. आईपीसी 376 (दुराचार के लिए दंड) - कुल 4 मामले
. आईपीसी 392 (लूट के लिए दंड) - कुल नौ मामले
. आईपीसी 395 (डकैती के लिए दंड) - कुल 21 मामले
अब राहुल-सोनिया के 'किले' पर धावा बोलेगी सपा
नई दिल्ली/ब्यूरो | अंतिम अपडेट 11 जुलाई 2013 2:00 AM IST पर
मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आम चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करने के कांग्रेस के संकेतों से सपा तिलमिला गई है।
सपा ने पलटवार करते हुए अब खुद भी अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशियों को खड़ा करने पर विचार की बात कही है। इसको लेकर संसद के मानसून सत्र से पहले दोनों पार्टियों के बीच तल्खी आ गई है।
उत्तर प्रदेश के नए प्रभारी और कांग्रेस महासचिव मधुसूदन मिस्त्री ने मुलायम सिंह के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा करने की बात कही थी। मगर इसका असर दिल्ली में सत्ता गलियारों में देखा जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा बिल का विरोध कर रही सपा को मनाने की कोशिश में लगे सरकार के मैनेजरों को अब नई राजनीतिक परिस्थितियों से जूझना पड़ सकता है।
मुलायम के गढ़ पर 'हमले' की तैयारी में कांग्रेस
राहुल गांधी के खिलाफ पहले भी सपा उम्मीदवार खड़ा करने की बात कहती रही है। मगर अब कांग्रेस की ओर से बात छेड़ने से मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
मुलायम सिंह यादव ने जहां दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने के मुद्दे पर संसदीय बोर्ड में कोई फैसला लेने की बात कही है। वहीं सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने भी दोनों सीटों पर पर्यवेक्षक भेजकर उम्मीदवार खड़ा करने पर विचार करने की बात कही है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अगर इसी तरह की जुबानी जंग जारी रही तो मानसून सत्र में सपा का रुख कड़ा हो सकता है। सपा पहले ही खाद्य सुरक्षा विधेयक की मुखालफत कर चुकी है। सरकार के मैनेजर सपा मुखिया को मनाने की कोशिश में थे। मगर अब बात कुछ अटक सी रही है।
उधर, सपा महासचिव नरेश अग्रवाल ने कहा है कि मधुसूदन मिस्त्री की तरह कांग्रेस चाहे जितने भी राज मजदूर भेजे मगर उसका कोई भला नहीं होने वाला। प्रदेश में कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है।
सपा ने पलटवार करते हुए अब खुद भी अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशियों को खड़ा करने पर विचार की बात कही है। इसको लेकर संसद के मानसून सत्र से पहले दोनों पार्टियों के बीच तल्खी आ गई है।
उत्तर प्रदेश के नए प्रभारी और कांग्रेस महासचिव मधुसूदन मिस्त्री ने मुलायम सिंह के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा करने की बात कही थी। मगर इसका असर दिल्ली में सत्ता गलियारों में देखा जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा बिल का विरोध कर रही सपा को मनाने की कोशिश में लगे सरकार के मैनेजरों को अब नई राजनीतिक परिस्थितियों से जूझना पड़ सकता है।
मुलायम के गढ़ पर 'हमले' की तैयारी में कांग्रेस
राहुल गांधी के खिलाफ पहले भी सपा उम्मीदवार खड़ा करने की बात कहती रही है। मगर अब कांग्रेस की ओर से बात छेड़ने से मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
मुलायम सिंह यादव ने जहां दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने के मुद्दे पर संसदीय बोर्ड में कोई फैसला लेने की बात कही है। वहीं सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने भी दोनों सीटों पर पर्यवेक्षक भेजकर उम्मीदवार खड़ा करने पर विचार करने की बात कही है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अगर इसी तरह की जुबानी जंग जारी रही तो मानसून सत्र में सपा का रुख कड़ा हो सकता है। सपा पहले ही खाद्य सुरक्षा विधेयक की मुखालफत कर चुकी है। सरकार के मैनेजर सपा मुखिया को मनाने की कोशिश में थे। मगर अब बात कुछ अटक सी रही है।
उधर, सपा महासचिव नरेश अग्रवाल ने कहा है कि मधुसूदन मिस्त्री की तरह कांग्रेस चाहे जितने भी राज मजदूर भेजे मगर उसका कोई भला नहीं होने वाला। प्रदेश में कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है।
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मुलायम के गढ़ पर 'हमले' की तैयारी में कांग्रेस
नई दिल्ली/इंटरनेट डेस्क | अंतिम अपडेट 10 जुलाई 2013 2:41 PM IST पर
उत्तरप्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी(सपा) की दोस्ती अब टूटने के कगार पर है। कांग्रेस ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सीधी जंग लड़ने का फैसला कर लिया है।
अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी, इटावा और कन्नौज लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार खड़े कर सकती है। कांग्रेस की ओर से मंगलवार को इसकी पुष्टि की गई।
कांग्रेस और सपा एक दूसरे के प्रभुत्व वाले इलाकों में उम्मीदवार खड़े करने से बचते आए हैं लेकिन कांग्रेस का इस परंपरा को तोड़ना इनकी दोस्ती पर असर डाल सकता है।
मालूम हो कि मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव सांसद हैं और कन्नौज से उनकी बहु डिंपल यादव। इटावा यादव परिवार का पैतृक जिला है और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव इस जिले के एक इलाके से विधायक हैं।
2009 में नहीं आए एक-दूसरे के आड़े
साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने मैनपुरी, इटावा और कन्नौज से चुनाव नहीं लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की 80 सीटों में से 63 पर चुनाव लड़ा और यादव परिवार के लिए कई सीटें छोड़ दी थीं।
इसके एवज में सपा ने रायबरेली और अमेठी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
कार्यकर्ताओं ने जताई थी इच्छा
राज्य कांग्रेस प्रमुख निर्मल खत्री ने इस संबंध में संकेत देते हुए बताया कि इन तीनों जिलों के पार्टी कार्यकर्ताओं ने यूपी महासचिव प्रभारी मधुसुदन मिस्त्री से मिलकर इन क्षेत्रों से चुनाव न लड़ने पर एतराज जताया था।
उन्होंने ख्रुद भी इन जिलों से चुनाव लड़ने के फैसले पर सहमति जतायी। साथ ही बताया कि मिस्त्री ने भी कार्यकर्ताओं को इन जिलों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कहा है।
पड़ सकती है दोस्ती में खटास
माना जा रहा है कि कांग्रेस अगर यादव परिवार के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करती है तो सपा भी जवाब में रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार खड़े कर सकती है जिसके सपा और कांग्रेस के संबंधों में खटास आ सकती है।
हांलाकि, यूपी में लोकसभा चुनावों के लिए सपा ने 65 से ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा के बावजूद अभी तक रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।
अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी, इटावा और कन्नौज लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार खड़े कर सकती है। कांग्रेस की ओर से मंगलवार को इसकी पुष्टि की गई।
कांग्रेस और सपा एक दूसरे के प्रभुत्व वाले इलाकों में उम्मीदवार खड़े करने से बचते आए हैं लेकिन कांग्रेस का इस परंपरा को तोड़ना इनकी दोस्ती पर असर डाल सकता है।
मालूम हो कि मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव सांसद हैं और कन्नौज से उनकी बहु डिंपल यादव। इटावा यादव परिवार का पैतृक जिला है और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव इस जिले के एक इलाके से विधायक हैं।
2009 में नहीं आए एक-दूसरे के आड़े
साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने मैनपुरी, इटावा और कन्नौज से चुनाव नहीं लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की 80 सीटों में से 63 पर चुनाव लड़ा और यादव परिवार के लिए कई सीटें छोड़ दी थीं।
इसके एवज में सपा ने रायबरेली और अमेठी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
कार्यकर्ताओं ने जताई थी इच्छा
राज्य कांग्रेस प्रमुख निर्मल खत्री ने इस संबंध में संकेत देते हुए बताया कि इन तीनों जिलों के पार्टी कार्यकर्ताओं ने यूपी महासचिव प्रभारी मधुसुदन मिस्त्री से मिलकर इन क्षेत्रों से चुनाव न लड़ने पर एतराज जताया था।
उन्होंने ख्रुद भी इन जिलों से चुनाव लड़ने के फैसले पर सहमति जतायी। साथ ही बताया कि मिस्त्री ने भी कार्यकर्ताओं को इन जिलों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कहा है।
पड़ सकती है दोस्ती में खटास
माना जा रहा है कि कांग्रेस अगर यादव परिवार के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करती है तो सपा भी जवाब में रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार खड़े कर सकती है जिसके सपा और कांग्रेस के संबंधों में खटास आ सकती है।
हांलाकि, यूपी में लोकसभा चुनावों के लिए सपा ने 65 से ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा के बावजूद अभी तक रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।
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