प्रदेश में ब्राह्माणों-दलितों का सबसे ज्यादा उत्पीड़न
बसपा का ब्राह्माण समाज कार्यकर्त्ता सम्मेलन
जागरण संवाद केंद्र,गाजियाबाद
बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि सपा शासन में तेजी से अपराधों का ग्राफ बढ़ रहा है। हर वर्ग परेशान है, खास तौर से ब्राह्माणों एवं दलितों का सर्वाधिक उत्पीड़न हो रहा है। सपा के डेढ़ वर्ष के कुशासन में पांच हजार से अधिक हत्याएं, साढ़े नौ हजार से अधिक दुष्कर्म, लूट एवं डकैती की घटनाएं हो चुकी हैं।
वह सोमवार को पार्टी द्वारा घंटाघर रामलीला मैदान में आयोजित ब्राह्माण कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ब्राह्माणों को सबसे अधिक सम्मान बसपा में मिला है। 2002 में जिस समय उन्हें मायावती ने प्रदेश का महाधिवक्ता बनाया था, उस दौरान उन्होंने वायदा किया था कि पार्टी हमेशा ब्राह्माणों का सम्मान करेगी। वायदे के अनुरूप मायावती ने अपने शासन में 30 से अधिक ब्राह्माणों को महत्वपूर्ण पद दिए। आज भी ब्राह्माणों को सबसे अधिक सम्मान बसपा में ही मिलता है। इस अवसर पर उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ब्राह्माणों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में ही प्रयोग किया।
सम्मेलन में उन्होंने कहा कि प्रदेश में ब्राह्माणों की संख्या 16 फीसद है, लेकिन अभी तक यह समाज बिखरा है। अब जरूरत है तो एकजुट होकर अपनी ताकत का अहसास कराने का। उन्होंने बताया कि 4 मई से शुरू हुए ब्राह्माण सम्मेलन का यह 25 वां सम्मेलन है। अभी दस सम्मेलन बाकी हैं। उन्होंने बगैर नाम लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर हमला करते हुए कहा कि एक बार वह जहां से जीतते है अगला चुनाव वहां से नहीं लड़ते हैं।
इस अवसर पर प्रदेश के पूर्व उर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय ने अपने छोटे भाई व गाजियाबाद से बसपा के लोकसभा प्रत्याशी मुकुल उपाध्याय को चुनाव जीताने की अपील की। मुकुल उपाध्याय ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चुनाव के दौरान बड़े-बड़े विकास के वायदे किए थे, लेकिन वायदे तो दूर जनता का उनसे मिलना भी असंभव है।
इस अवसर पर सांसद ब्रजेश पाठक, विधायक सुरेश बंसल, अमरपाल शर्मा, वहाब चौधरी एवं जाकिर अली के अलावा जिला अध्यक्ष रामप्रसाद प्रधान, सुबोध पाराशर, डा.अविनाश शर्मा, धनी राम, गोरे लाल जाटव, विनोद हरित, मुकेश जाटव, विनोद मिश्र, मुकेश त्यागी, महेश शर्मा, अशोक शर्मा, विनोद शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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(प्रासंगिक विश्लेषण)
अवसरवाद का अजीबो गरीब तरीका
लम्बे समय के ब्राह्मणों के स्वार्थ और संग्रहण के स्वाभाव से जब ब्राह्मणों को लोग पहचान गए की ये कितने अवसरवादी और चतुर हैं तो लम्बे समय से इनके साथ रह रहा दलित समुदाय ने भी इसका विरोध किया। और इनकी स्वाभाविक फासीवादी कांग्रेस पार्टी आसमान से फर्श पर आ गयी दलितों के अपने संगठन ने यह दिखा दिया की अब हम तुम्हारे भरोसे नहीं हैं हम अपनी सरकार बना सकते हैं, अपने समीकरण के साथ जा सकते हैं और शुरुआत भी की इन्होने कांशीराम के प्रयासों से सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़े उ प्र में 1993 में और इनकी सरकार भी बनी पर इन्हें चैन कहाँ, इन्होने अंडे नहीं इकटठे किये इन्हें तो लगा की मुर्गी के पेट ही फाड़ डालो और वाही किया इन्होने जिससे जो होना था हुआ और अब ये लगते तो राजनितिक लेकिन ये अब राजनीतिग्य नहिं रहे। वही हुआ मारपीट और सत्ता की हिस्सेदारी में बट गए पहले भाजपा वालों ने बहनजी को डोरे डाले सत्ता में साझी किया बात वहां नहीं बनी मामला अलग थलग पड गया। फिर कांग्रेसियों ने मोल भाव किया बात नहीं बनी। फिर मिले ये वकील साहब सतीश मिश्र, सतीश मिश्र जी बड़े अधिवक्ता हो सकते हैं पर कांग्रेस में नहीं, भाजपा में नहीं, केवल बसपा में क्योंकि वहां उनके आका बैठे हैं, यहाँ इनको पूरी लूट की छूट जो है . खूब लूटा प्रदेश को सारा दोष गया बहिन जी के माथे भला हो बाबा साहब के बनाये कानून को कि ये तो सारे पकड़ में आ रहे हैं, नहीं तो इनकी चलती तो मनुस्मृति में एक क्लाज और जोड़ लेते की 'ब्राह्मण अपराधी के रूप में नहीं पकड़ा जाएगा' और उसका अपराध से कोई रोकेगा तो उसे जेल जाना होगा।
ब्राह्मण सम्मेलनों से संभवतः यही सन्देश दे रहे हैं की एकबार इनके साथ आ जाओ फिर आगे किसी के साथ जाने की जरूरत नहीं होगी. ऐसा कानून बनाएंगे की हमारा कोई कुछ विगाड नहीं पायेगा. यही कारण है की सपा भी परेशान है इन ब्राह्मणों को लेने के लिए की कहीं सारे दलित दल में न चले जाएँ, फिर इनके यहाँ हवन पूजन कौन करेगा.
इन दलों का सारा समय इनके आव भगत में ही बीतता नज़र आ रहा है और काम ही नहीं रहा इनके पास जिसे ये सोच विचार से कर सकें, बहन जी से इन्होने लखनऊ में जिस तरह के ब्राह्मण विहार (बौद्ध के नाम पर बनवा रखे हैं) उसका उपयोग तो कालांतर में यही करेंगे क्योंकि महानगरों में कितने दलित और पिछड़े रहते है.
ब्राह्मण सम्मेलनों से संभवतः यही सन्देश दे रहे हैं की एकबार इनके साथ आ जाओ फिर आगे किसी के साथ जाने की जरूरत नहीं होगी. ऐसा कानून बनाएंगे की हमारा कोई कुछ विगाड नहीं पायेगा. यही कारण है की सपा भी परेशान है इन ब्राह्मणों को लेने के लिए की कहीं सारे दलित दल में न चले जाएँ, फिर इनके यहाँ हवन पूजन कौन करेगा.
इन दलों का सारा समय इनके आव भगत में ही बीतता नज़र आ रहा है और काम ही नहीं रहा इनके पास जिसे ये सोच विचार से कर सकें, बहन जी से इन्होने लखनऊ में जिस तरह के ब्राह्मण विहार (बौद्ध के नाम पर बनवा रखे हैं) उसका उपयोग तो कालांतर में यही करेंगे क्योंकि महानगरों में कितने दलित और पिछड़े रहते है.
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